मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना

सूचना: अभ्युदय पोर्टल सिविल सेवाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों के लिए एक निःशुल्क मंच है। मंच पर 500 से अधिक आईएएस अधिकारी, 450 से अधिक आईपीएस अधिकारी, 300 से अधिक आईएफएस अधिकारी और विभिन्न विषयों के कई विशेषज्ञ हैं जो सिविल सेवाओं और अन्य प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के उम्मीदवारों के लिए भौतिक कक्षाओं और आभासी सत्रों के माध्यम से शैक्षिक सामग्री बनाकर योगदान करते हैं।

यूपीपीसीएस मुख्य पाठ्यक्रम

मुख्य परीक्षा
सम्मिलित राज्य/ प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा की मुख्य (लिखित) परीक्षा हेतु निर्देश तथा पाठ्यक्रम
1. आयोग प्रवेश पत्र के बिना किसी भी अभ्यर्थी को मुख्य (लिखित) परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति नहीं देंगे। किसी भी अभ्यर्थी के परीक्षा में प्रवेश हेतु अर्हता/ पात्रता के सम्बन्ध में आयोग का निर्णय अंतिम होगा.
2. अभ्यर्थियों को सचेत किया जाता है कि उत्तर पुस्तिका में केवल निर्धारित स्थान पर ही अपना अनुक्रमांक लिखें अन्यथा दण्डस्वरूप उनके अंकों में कटौती की जायेगी। अभ्यर्थी उत्तर पुस्तिका में कहीं भी अपना नाम न लिखें अन्यथा उन्हें परीक्षा के लिये अनर्ह घोषित किया जा सकता है.
3. यदि अभ्यर्थी की हस्तलिपि अस्पष्ट/अपठनीय है तो उसके प्राप्तांकों के कुल योग में से कटौती की जा सकती है.
4. अभ्यर्थी प्रश्न-पत्रों के उत्तर अंग्रेजी रोमन लिपि में अथवा हिन्दी देवनागरी लिपि में अथवा उर्दू फारसी लिपि में लिख सकते हैं परन्तु उन्हें भाषा के प्रश्न-पत्र का उत्तर जब तक की प्रश्न में अन्यथा निर्दिष्ट न हो अनिवार्य रूप से उसी भाषा में लिखना होगा.
5. प्रश्न-पत्र केवल अंग्रेजी लिपि में व हिन्दी देवनागरी लिपि में होंगे.
6. सामान्य अध्ययन विषय के प्रश्न-पत्रों का पाठ्यक्रम अन्यथा उल्लिखित विवरण के अतिरिक्त, किसी विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्रीधारी अभ्यर्थी से अपेक्षित स्तर का होगा.
सामान्य हिन्दी
1. दिये हुए गद्य खण्ड का अवबोध एवं प्रश्नोत्तर ।
2. संक्षेपणा ।
3. सरकारी एवं अर्धसरकारी पत्र लेखन, तार लेखन, कार्यालय आदेश, अधिसूचना, परिपत्र ।
4. शब्द ज्ञान एवं प्रयोग (अ) उपसर्ग एवं प्रत्यय प्रयोग, (ब) विलोम शब्द, (स) वाक्यांश के लिए एक शब्द (द) वर्तनी एवं वाक्य शुद्धि ।
5. लोकोक्ति एवं मुहावरे।
निबन्ध।

निबन्ध हिन्दी, अंग्रेजी अथवा उर्दू में लिखे जा सकते हैं।

निबन्ध के प्रश्न-पत्र में 3 खण्ड होंगे। प्रत्येक खण्ड से एक-एक विषय पर 700 (सात सौ) शब्दों में निबन्ध लिखना होगा। प्रत्येक खण्ड 50.-50 अंकों का होगा। तीनों खण्डों में निम्नलिखित विषयों पर आधारित निबन्ध के प्रश्न होंगे।
खंड (क)
1. साहित्य और संस्कृति।
2. सामाजिक क्षेत्र।
3. राजनैतिक क्षेत्र।

खण्ड (ख)
1. विज्ञान पर्यावरण और प्रौद्योगिकी।
2. आर्थिक क्षेत्र।
3. कृषि उद्योग एवं व्यापार।

खंड (ग)
1. राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम।
2. प्राकृतिक आपदाएं भू-स्खलन भूकम्प, बाढ़, सूखा, आदि।
3. राष्ट्रीय विकास योजनाएं एवं परियोजनाएं।
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 01 से 06 तक मुख्य परीक्षा का पाठ्यक्रम
  • • सामान्य अध्ययन I, II, III एवं IV के संदर्भ में पाठ्यक्रम यथावत् रहेगा, उ०प्र० से संबंधित विषयों को छोड़कर।
  • • सामान्य अध्ययन V एवं VI - उत्तर प्रदेश विषयक विस्तृत एवं व्यापक पाठ्यक्रम।
सामान्य अध्ययन-I
1. भारतीय संस्कृति के इतिहास में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला प्रारूप, साहित्य एवं वास्तुकला के महत्वपूर्ण पहलू शामिल होंगे।
2. आधुनिक भारतीय इतिहास (1757 ई0 से 1947 ई0 तक) महत्वपूर्ण घटनाएं, व्यक्तित्व एवं समस्याएं इत्यादि।
3. स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्वपूर्ण व्यक्ति / उनका योगदान।
4. स्वतंत्रता के पश्चात् देश के अंदर एकीकरण और पुनर्गठन (1965 ई० तक)।
5. विश्व के इतिहास में 18 वीं सदी से बीसवीं सदी के मध्य तक की घटनाएं जैसे फ्रांसीसी क्रान्ति 1789, औद्योगिक क्रांति, विश्व युद्ध, राष्ट्रीय सीमाओं का पुनः सीमांकन, उपनिवेशवाद, उपनिवेशवाद की समाप्ति, राजनीतिक दर्शन शास्त्र जैसे साम्यवाद, पूँजीवाद, समाजवाद, नाजीवाद, फासीवाद इत्यादि के रूप और समाज पर उनके प्रभाव इत्यादि शामिल होंगें।
6. भारतीय समाज और संस्कृति की मुख्य विशेषताएं।
7. महिलाओं की समाज और महिला संगठनों में भूमिका, जनसंख्या तथा सम्बद्ध समस्याएं, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएं और उनके रक्षोपाय।
8. उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का अभिप्राय और उनका भारतीय समाज के अर्थ व्यवस्था, राज्य व्यवस्था और समाज संरचना पर प्रभाव।
9. सामाजिक सशक्तीकरण, साम्प्रदायिकता, क्षेत्रवाद और धर्मनिरपेक्षता।
10. विश्व के प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों का वितरण जल, मिट्टियों एवं वन, दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया में (भारत के विशेष संदर्भ में)।
11. भौतिक भूगोल की प्रमुख विशिष्टताएं- भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी क्रियाएँ, चक्रवात, समुद्री जल धाराएं, पवन एवं हिम सरिताए।
12 भारत के सामुद्रिक संसाधन एवं उनकी संभाव्यता।
13. मानव प्रवास - विश्व की शरणार्थी समस्या - भारत- उपमहाद्वीप के संदर्भ में।
14. सीमान्त तथा सीमांए- भारत उप- महाद्वीप के संदर्भ में।
15. जनसंख्या एवं अधिवास- प्रकार एवं प्रतिरूप, नगरीकरण, स्मार्ट नगर एवं स्मार्ट ग्राम।
16. उत्तर प्रदेश का विशेष ज्ञान-इतिहास, संस्कृतेि, कला, साहित्य, वास्तुकला, त्योहार, लोक-नृत्य साहित्य, प्रादेशिक भाषाएं, धरोहरें, सामाजिक रीति-रिवाज एवं पर्यटन।
17. उ०प्र० का विशेष ज्ञान- भूगोल-मानव एवं प्राकृतिक संसाधन, जलवायु, मिट्टियों, वन वन्य जीव, खदान और खनिज, सिंचाई के स्रोत।
सामान्य अध्ययन-II
1. भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान तथा आधारभूत संरचना। संविधान के आधारभूत प्रावधानों के विकास में उच्चतम न्यायालय की भूमिका।
2. संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढांचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियां। स्थानीय स्तर पर चुनौतियां।
3. केन्द्र-राज्य वित्तीय सम्बन्धों में वित्त आयोग की भूमिका।
4. शक्तियों का पृथक्‌करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थाएं। वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्रों का उदय एवं उनका प्रयोग। भारतीय संवैधानिक योजना की अन्य प्रमुख लोकतांत्रिक देशों के साथ तुलना।
5. संसद और राज्य विधायिका संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियों एवं विशेषाधिकार तथा संबंधित विषय।
6. कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य। सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका। जनहित वाद (पी०आई०एल०)।
7. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं।
8. विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति शक्तियां, कार्य तथा उनके उत्तरदायित्व।
9. सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय, नीति आयोग समेत उनकी विशेषताएं एवं कार्यभार।
10. सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप, उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय एवं सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आई०सी०टी०)।
11. विकास प्रक्रियाएं-गैर सरकारी संगठनों की भूमिका, स्वयं सहायता समूह, विभिन्न समूह एवं संघ, अभिदाता, सहायतार्थ संस्थाएं, संस्थागत एवं अन्य अशधारक।
12. केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं और इन योजनाओं का कार्य निष्पादन। इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिए गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
13. स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र / सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित विषय।
14. गरीबी और भूख से संबंधित विषय एवं राजनैतिक व्यवस्था के लिए इनका निहितार्थ।
15. शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेस अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएं, सीमाएं और संभावनाएं, नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत व अन्य उपाय।
16. लोकतंत्र में उभरती हुई प्रवृत्तियों के संदर्भ में सिविल सेवाओं की भूमिका।
17. भारत एवं अपने पड़ोसी देशों से उसके संबंध।
18. द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समझौतों और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
19. भारत के हितों एवं अप्रवासी भारतीयों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।
20. महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं, उनकी संरचना, अधिदेश तथा उनका कार्यभार।
21. 3090 के राजनैतिक, प्रशासनिक, राजस्व एवं न्यायिक व्यवस्थाओं की विशिष्ट जानकारी।
22. क्षेत्रीय, प्रान्तीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व के समसामयिक घटनाक्रम।
सामान्य अध्ययन-III
1. भारत में आर्थिक नियोजन, उद्देश्य एवं उपलब्धियाँ, नीति (एन०आई०टी०आई०) आयोग की भूमिका, संपोषणीय विकास के लक्ष्य, एस०डी०जी० की प्राप्ति के प्रयास।
2. गरीबी के मुद्दे, बेरोजगारी, सामाजिक न्याय एवं समावेशी संवृद्धि।
3. सरकार के बजट के अवयव तथा वित्तीय प्रणाली।
4. प्रमुख फसलें, विभिन्न प्रकार की सिंचाई विधि एवं सिंचाई प्रणाली, कृषि उत्पाद का भंडारण, ढुलाई एवं विपणन, किसानों की सहायता हेतु ई-तकनीकी।
5. अप्रत्यक्ष एवं प्रत्यक्ष कृषि सहायकी तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से जुड़े मुद्दे, सार्वजनिक वितरण प्रणाली-उद्देश्य, क्रियान्वयन, परिसीमाएं, सुदृढ़ीकरण खाद्य सुरक्षा एवं बफर भण्डार, कृषि सम्बन्धित तकनीकी अभियान टेक्नालाजी मिशन।
6. भारत में खाद्य प्रसंस्करण व संबंधित उद्योग-कार्यक्षेत्र एवं महत्व, स्थान निर्धारण, उर्ध्व व अधोप्रवाह आवश्यकताएं, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन।
7. भारत में स्वतंत्रता के पश्चात् भूमि सुधार।
8. भारत में वैश्वीकरण तथा उदारीकरण के प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा इनके औद्योगिक संवृद्धि पर प्रभाव।
9. आधारभूत संरचनाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन तथा रेलवे आदि।
10. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास एवं अनुप्रयोग (दैनिक जीवन एवं राष्ट्रीय सुरक्षा में, भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति)।
11. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां, प्रौद्योगिकी का देशजीकरण। नवीन प्रौद्योगिकियों का विकास, प्रौद्योगिकी का हस्तान्तरण, द्विअनुप्रयोगी एवं क्रान्तिक अनुप्रयोग प्रौद्योगिकियां।
12. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर, ऊर्जा स्त्रोतों, नैनो प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में जागरूकता। बौद्धिक सम्पदा अधिकारों एवं डिजिटल अधिकारों से संबंधित मुद्दे।
13. पर्यावरणीय सुरक्षा एवं पारिस्थितिकी तंत्र, वन्य जीवन संरक्षण, जैव विविधता, पर्यावरणीय प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय संघात आंकलन।
14. आपदाः गैर-पारंपरिक सुरक्षा एवं संरक्षा की चुनौती के रूप में, आपदा उपशमन एवं प्रबंधन।
15. अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियाँः आणुविक प्रसार के मुद्दे, अतिवाद के कारण तथा प्रसार, संचार तंत्र, मीडिया की भूमिका तथा सामाजिक तन्त्रीयता, साइबर सुरक्षा के आधार, मनी लाउन्डरिंग तथा मानव तस्करी।
16. भारत की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियाँः आतंकवाद, भ्रष्टाचार, प्रतिविद्रोह तथा संगठित अपराध।
17. सुरक्षा बलों की भूमिका, प्रकार तथा शासनाधिकार, भारत का उच्च रक्षा संगठन।
18. उत्तर प्रदेश के आर्थिक परिदृश्य का विशिष्ट ज्ञानः उत्तर प्रदेश की अर्थ व्यवस्था का सामान्य विवरण, राज्य के बजट। कृषि, उद्योग, आधारभूत संरचना एवं भौतिक संसाधनों का महत्व। मानव संसाधन एवं कौशल विकास, सरकार के कार्यक्रम एवं कल्याणकारी योजनाएं।
19. कृषि, बागवानी, वनीकरण एवं बेरोजगारी के मुद्दे।
20. उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में कानून एवं व्यवस्था और नागरिक सुरक्षा।
सामान्य अध्ययन-IV
• नीतिशास्त्र तथा मानवीय अन्तः सम्बन्ध, मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सारतत्व, इसके निर्धारक और परिणाम : नीतिशास्त्र के आयाम, निजी और सार्वजनिक संबंधों में नीति ज्ञास्त्र।
• मानवीय मूल्य-महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा, मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका।
• अभिवृत्तिः अंर्तवस्तु (कंटेन्ट), संरचना, कार्य, विचार तथा आचरण के परिप्रेक्ष्य में इसका प्रभाव एवं संबंध, नैतिक और राजनीतिक अभिरूचि, सामाजिक प्रभाव और सहमति पैदा करना।
• सिविल सेवा के लिए अभिरूचि तथा बुनियादी मूल्य, सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता तथा गैर-तरफदारी, वस्तुनिष्ठता, सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण भाव, कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता तथा करूणा।
• संवेगात्मक बुद्धिः अवधारणाएं तथा आयाम, प्रशासन और शासन व्यवस्था में उनकी उपयोगिता और प्रयोग।
• भारत तथा विश्व के नैतिक विचारकों तथा दार्शनिकों का योगदान।
• लोक प्रशासनों में लोक / सिविल सेवा मूल्य तथा नीतिशास्त्र स्थिति तथा समस्याएं, सरकारी तथा निजी संस्थानों में नैतिक सरोकार तथा दुविधाएं, नैतिक मार्गदर्शन के स्त्रोतों के रूप में विधि, नियम, नियमन तथा अंतर्रात्मा, जवाबदेही तथा नैतिक शासन व्यवस्था में नैतिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा निधि व्यवस्था (फंडिग) में नैतिक मुद्दे, कारपोरेट शासन व्यवस्था।
• शासन व्यवस्था में ईमानदारीः लोक सेवा की अवधारणा, शासन व्यवस्था और ईमानदारी का दार्शनिक आधार, सरकार में सूचना का आदान-प्रदान और पारदर्शिता, सूचना का अधिकार, नीतिपरक आचार संहिता, आचरण संहिता, नागरिक घोषणा पत्र, कार्य संस्कृति, सेवा प्रदान करने की गुणवत्ता, लोक-निधि का उपयोग, भ्रष्टाचार की चुनौतियां।
• उपर्युक्त विषयों पर मामला संबंधी अध्ययन (केस स्टडी)।
सामान्य अध्ययन - V
1. उ०प्र० का इतिहास, सभ्यता, संस्कृति एवं प्राचीन नगर।
2. उ०प्र० की वास्तुकला, उसकी महत्ता एवं रख-रखाव, संग्रहालय, अभिलेखागार एवं पुरातत्व।
3. भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में 1857 से पहले एवं बाद में उ०प्र० का योगदान।
4. उ०प्र० के सुविख्यात स्वतन्त्रता सेनानी एवं व्यक्तित्व।
5. उ०प्र० में ग्रामीण, शहरी एवं जनजातीय मुद्देः सामाजिक संरचना, त्योहार, मेले, संगीत, लोकनृत्य, भाषा एवं साहित्य / बोली, सामाजिक प्रथाएं एवं पर्यटन।
6. उ०प्र० की राजव्यवस्था-शासन प्रणाली, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद, विधान सभा एवं विधान परिषद, केन्द्र-राज्य सम्बन्ध।
7. उ०प्र० में लोक सेवाएँ, लोक सेवा आयोग, लेखा परीक्षा, महान्यायवादी, उच्च न्यायालय एवं उसका अधिकार क्षेत्र।
8. उ०प्र०-विशेष राज्य चयन मानदण्ड, राजभाषा, संचित निधि एवं आकस्मिक निधि, राजनीतिक दल एवं राज्य निर्वाचन आयोग।
9. उ०प्र० में स्थानीय स्वशासनः शहरी एवं पंचायती राज, लोकनीति, अधिकार सम्बन्धी मुद्दे।
10. उ०प्र०-सुशासन, भ्रष्टाचार निवारण, लोकायुक्त, सिटीजन चार्टर, ई-गवर्नेस, सूचना का अधिकार, समाधान योजना।
11. उ०प्र० में भूमि सुधार एवं इसका प्रभाव।
12. उ०प्र० में सुरक्षा से जुड़े मुद्देः
  • (i) उग्रवाद के प्रसार एवं विकास के बीच सम्बन्ध।
  • (ii) बाह्य, राज्य एवं अन्तर राज्यीय सक्रियकों से आन्तरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ पैदा करने में संचार नेटवर्क, मीडिया एवं सोशल नेटवर्किंग साइट्स की भूमिका।
  • (iii) साइबर सुरक्षा के बुनियादी नियम, कालेधन को वैध बनाना एवं इसकी रोकथाम।
  • (iv) विभिन्न सुरक्षा बल एवं एजेंसियाँ और उनके शासनादेश / अधिकार-पत्र।
  • (v) सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबन्धन, संगठित अपराधों का आतंकवाद से संबंध।
13. उ०प्र० में कानून व्यवस्था एवं नागरिक अधिकार सुरक्षा।
14. उ०प्र० में स्वास्थ्य एवं चिकित्सीय मुद्दे।
15. उ०प्र० में शिक्षा प्रणाली।
16. भारत के विकास में उ०प्र० की भूमिका।
17. उ०प्र० की समसामयिक घटनाएं।
18. जल शक्ति मिशन एवं अन्य केन्द्रीय योजनायें एवं उनका क्रियान्वयन।
19. उ०प्र० में गैर सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.): मुद्दे, योगदान एवं प्रभाव।
20. उ०प्र० में पर्यटनः मुद्दे एवं सम्भावनायें।
21. उ०प्र० में विभिन्न क्षेत्रों में नवाचारः इसके मुद्दे एवं इसका समाज में रोजगार एवं सामाजिक-आर्थिक विकास पर प्रभाव।
सामान्य अध्ययन - VI
1. उ०प्र० का आर्थिक परिदृश्य : अर्थव्यवस्था एवं राज्य बजट की मुख्य विशेषताएं, बुनियादी ढाँचा एवं भौतिक संसाधनों का महत्त्व।
2. उ०प्र० का व्यापार, वाणिज्य एवं उद्योग।
3. उ०प्र० सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाएँ, परियोजनाएँ एवं नियोजित विकास, मानव संसाधन एवं कौशल विकास।
4. उ०प्र० में निवेशः मुद्दा एवं प्रभाव।
5. उ०प्र० की लोक वित्त एवं राजकोषीय नीति, कर एवं आर्थिक सुधार, एक जिला एक उत्पाद नीति।
6. उ०प्र० में नवीकरणीय ऊर्जा एवं गैर-नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों की योजना एवं प्रबन्धन।
7. उ०प्र० की जनांकिकी, जनसंख्या एवं जनगणना।
8. उ०प्र० में कृषि का व्यावसायीकरण एवं कृषि फसलों का उत्पादन।
9. उ०प्र० की नवीन वानिकी नीति।
10. उ०प्र० की कृषि एवं सामाजिक वानिकी।
11. उ०प्र० में कृषि विविधता, कृषि की समस्याएँ एवं उनका समाधान।
12. उ०प्र० के विभिन्न क्षेत्रों में विकासीय सूचकांक।
13. उ०प्र० का भूगोल- भौगोलिक स्थिति, उच्चावच एवं संरचना, जलवायु, सिंचाई, खनिज, अपवाह प्रणाली एवं वनस्पति।
14. उ०प्र० में राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव अभ्यारण्य।
15. उ०प्र० में परिवहन तंत्र।
16. उ०प्र० में औद्योगिक विकास, शक्ति संसाधन एवं अधोसंरचना।
17. उ०प्र० में प्रदूषण एवं पर्यावरण के मुद्दे, प्रदूषण नियंत्रण परिषद एवं इनके कार्य।
18. उ०प्र० के प्राकृतिक संसाधन मृदा, जल, वायु, वन, घास-मैदान, आद्रभूमि।
19. उ०प्र० के जलवायु परिवर्तन एवं मौसम पूर्वानुमान से सम्बन्धित मुद्दे।
20. उ०प्र० के सन्दर्भ में अधिवास पारिस्थितिकी तंत्र-संरचना एवं कार्य, समायोजन, जीव-जन्तु एवं वनस्पतियां।
21. उ०प्र० में विज्ञान एवं तकनीक के मुद्दे, प्रसार एवं प्रयत्न।
22. उ०प्र० में मत्स्य, अंगूर, रेशम, फूल, बागवानी एवं पौध उत्पादन तथा उ०प्र० के विकास में इनका प्रभाव।
23. उ०प्र० के विकास में सार्वजनिक एवं निजी साझेदारी को प्रोत्साहित करना।